
देशभर में करीब 30 करोड़ रुपे कार्ड्स हैं.
पिछले 7 साल में ग्रामीण इलाको में एटीएम का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है. इस दौरान देश में कुल डेबिट कार्ड (Debit Cards) की संख्या करीब दोगुनी हो चुकी है. जानकारों का कहना है कि जनधन योजना और डीबीटी की वजह से भी ग्रामीण इलाकों में एटीएम का इस्तेमाल बढ़ा है.
- News18Hindi
- Last Updated:
November 30, 2020, 12:45 PM IST
7 साल में दोगुनी हुई एटीएम की संख्या
एटीएम प्लेयर्स का कहना है कि इसके पीछे मुख्य वजह यह है कि बीते 7 साल के दौरान में देश में डेबिट कार्ड्स की संख्या (Total Debit Cards in India) करीब दोगुनी बढ़कर सितंबर तक 86 करोड़ हो चुकी है. इनमें से करीब 35 फीसदी यानी 30 करोड़ एटीएम रुपे कार्ड (RuPay Card) हैं. प्रधानमंत्री जनधन योजना के लिए भी इसी कार्ड को जारी किया जाता है.
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इस मामले से जुड़े एक जानकार का कहना है कि महामारी के बावजूद भी ग्रामीण इलाकों में मांग लगातार बढ़ रही है. इसका एक कारण यह भी है कि शहरों की तुलना में गावों में मौजूदा महामारी का उतना असर नहीं देखने को मिला है. वहीं, लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन (BPL) करने वाले लोगों की सहायता की है. एटीएम के जरिए कैश निकालने में इसका भी कुछ योगदान रहा है. यही कारण है कि सितंबर 2019 के 9.5 फीसदी की तुलना में सितंबर 2020 में बढ़कर 12 फीसदी पर पहुंच चुका है.
10 सरकारी बैंकों के विलय के बाद भी एटीएम की संख्या बढ़ी
देश में कुल एटीएम की संख्या 3 फीसदी बढ़कर 2.5 लाख हो चुकी है. सितंबर 2020 तक व्हाइट लेबल एटीएम की संख्या 14 फीसदी की बढ़त के साथ 24,195 पर पहुंच गई है. ग्रामीण इलाकों में एटीएम की बढ़ती संख्या यहां पर होने वाले ग्रोथ को दर्शाता है. लेकिन, ग्रामीण इलाकों का ग्रोथ यहीं तक सीमित नहीं है. इन क्षेत्रों में बैंकों का भी विस्तार हुआ है. हालांकि, कुल एटीएम की संख्या में 3 फीसदी की बढ़ोतरी भी तस्वीर को इसलिए भी नहीं साफ कर रही, क्योंकि 10 सरकारी बैंक का विलय भी हुआ है. विलय के बाद शहरों इलाकों में एटीएम बंद भी किए गए.
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जानकारों का कहना है कि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर की वजह से ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर अच्छा प्रभाव पड़ा है. अधिकतर ग्राहक मोबाइल ऐप व एटीएम का इस्तेमाल कर रहे हैं. अब वो बैंक ब्रांच नॉन पेमेंट/फंड ट्रांसफर जैसे लेनदेन के लिए ही आते हैं.