सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : पिक्साबे
पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
ख़बर सुनें
सुधारों के प्रस्ताव को मंजूरी के साथ ही खदानों से जुड़े विरासत के मुद्दों को भी हल किया जाएगा, जिसके फलस्वरूप नीलामी के लिए अधिक खदानें उपलब्ध हो सकेंगे। ऐसे में अधिक से अधिक खदानों का आवंटन नीलामी के जरिए होगा और व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ेगी। एक सूत्र ने बताया, ‘इसके लिए एमएमडीआर कानून की धारा 10ए (2)(बी) और 10ए (2)(सी) में संशोधन की जरूरत होगी।’
इन सुधारों में कैप्टिव और गैर-कैप्टिव खदानों के बीच अंतर को दूर करना और विभिन्न सांविधिक भुगतानों के लिए एक राष्ट्रीय खनिज सूचकांक (एनएमआई) की स्थापना कर सूचकांक आधारित तंत्र की शुरुआत करना शामिल है। खनन को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय खनिज खोज ट्रस्ट (एनएमईटी) के कामकाज की समीक्षा की जाएगी। साथ ही एनएमईटी को एक स्वायत्त निकाय बनाया जाएगा।
निजी संस्थाएं भी अब खोज कर सकेंगी। खोज से उत्पादन तक निर्बाध कामकाज को सुविधाजनक बनाने के लिए अन्वेषण व्यवस्था को सरल बनाया जाएगा। इसके अलावा जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) के दिशानिर्देशों में संशोधनों को भी मंजूरी दी गई है। इन संशोधनों का मकसद प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए डीएमएफ फंड को सीधे खर्च करना है।
सूत्र ने कहा कि संशोधनों का मकसद इन फंडों का बेहतर परिणामों के लिए उपयोग करना है। स्थानीय सांसद सदस्य डीएमएफ प्रशासनिक परिषद के सदस्य होंगे।