सरसों की कटाई में जुटी महिलाएं
– फोटो : Mewat
पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
ख़बर सुनें
पिनगवां। जिले में काफी समय बाद सरसों की लहलहाती फसल देख किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। किसानों ने सरसों की कटाई भी शुरू कर दी है। सरसों जिले के किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करता है। पानी की कमी और कम लागत में अधिक मुनाफा देने के कारण अधिकतर किसान सरसों की बुआई करते हैं। इस बार जिले में लगभग 72625 एकड़ में सरसों की रिकॉर्ड बुआई की गई है।
जिले में करीब 90 फीसदी लोग कृषि पर आश्रित हैं। यहां का मुख्य व्यवसाय खेतीबाड़ी और पशुपालन है। रोजगार के पर्याप्त संसाधन न होने की वजह से गरीबी अधिक है। नूंह और पुन्हाना खंड में करीब आधे हिस्सा में नहर का पानी है, जबकि फिरोजपुर झिरका खंड में नहर की बात तो दूर एक नाला तक भी नहीं है। नगीना खंड में मेवात विकास अभिकरण की ओर से दो दशक पहले कुछ पक्के नाले बनवाए गए थे, जिनमें आज तक पानी नहीं आया। किसानों को बारिश पर ही निर्भर रहना पड़ता है। जिन गांवों में नहर का पानी नहीं है, वहां के अधिकतर किसान सरसों, सब्जी, मसूर आदि की बुआई करते है। जिले में एक लाख 15 हजार 647 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है। इसमें से एक लाख आठ हजार 111 हेक्टेयर भूमि पर बुआई की जाती है। इस बार नूंह जिले में 74 हजार 500 हेक्टेयर में गेहूं, 29 हजार 50 हेक्टेयर में सरसों, 940 हेक्टेयर में जौ, 124 हेक्टेयर में चना, 79 हेक्टेयर में मसूर और करीब 400 हेक्टेयर में गाजर, प्याज आदि की बुआई की गई है।
किसान शमशेर लुहिंगाकलां, तारीक गंगवानी, सहूद, महबूब बादली और उमर मोहम्मद और दीन मोहम्मद मामलीका आदि का कहना है कि जिले में बारिश बहुत की कम होती है। नहरों में पानी समय पर आता नहीं है। किसानों को डीजल इंजनों से सिंचाई करनी पड़ती है, जो महंगा पड़ता है। सरसों की फसल में एक-दो पानी से ही काम चल जाता है, जबकि गेंहू की फसल के लिए कम से कम 6 बार सिंचाई की जरूरत पड़ती है। किसानों का कहना है कि दो दशकों से पर्याप्त बारिश न होने से वाटर लेवल 200 से 500 फीट गहरा चला गया है। सरसों की बुआई में लागत भी कम आती है और अच्छा मुनाफा भी होता है। बाजार में करीब चार से पांच हजार रुपये प्रति क्विंटल सरसों बिक्री होती है। किसानों का कहना है कि अब तक सरसों की फसल निरोगी है। जिले के अधिकतर गांवों में कटाई शुरू हो गई है।
इस बार लक्ष्य से अधिक बुआई
कृषि विभाग मेवात के एसडीओ अजीत सिंह ने बताया कि मेवात क्षेत्र में सरसों की फसल निरोगी है। सरकार ने 25 हजार हेक्टेयर यानी 62 हजार 500 एकड़ सरसों की फसल का लक्ष्य दिया था, लेकिन किसानों ने 29 हजार 50 हेक्टेयर यानी 72625 एकड़ सरसों की रिकॉर्ड बुआई की है। इससे किसानों को काफी आर्थिक फायदा होगा।
पिनगवां। जिले में काफी समय बाद सरसों की लहलहाती फसल देख किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। किसानों ने सरसों की कटाई भी शुरू कर दी है। सरसों जिले के किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करता है। पानी की कमी और कम लागत में अधिक मुनाफा देने के कारण अधिकतर किसान सरसों की बुआई करते हैं। इस बार जिले में लगभग 72625 एकड़ में सरसों की रिकॉर्ड बुआई की गई है।
जिले में करीब 90 फीसदी लोग कृषि पर आश्रित हैं। यहां का मुख्य व्यवसाय खेतीबाड़ी और पशुपालन है। रोजगार के पर्याप्त संसाधन न होने की वजह से गरीबी अधिक है। नूंह और पुन्हाना खंड में करीब आधे हिस्सा में नहर का पानी है, जबकि फिरोजपुर झिरका खंड में नहर की बात तो दूर एक नाला तक भी नहीं है। नगीना खंड में मेवात विकास अभिकरण की ओर से दो दशक पहले कुछ पक्के नाले बनवाए गए थे, जिनमें आज तक पानी नहीं आया। किसानों को बारिश पर ही निर्भर रहना पड़ता है। जिन गांवों में नहर का पानी नहीं है, वहां के अधिकतर किसान सरसों, सब्जी, मसूर आदि की बुआई करते है। जिले में एक लाख 15 हजार 647 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है। इसमें से एक लाख आठ हजार 111 हेक्टेयर भूमि पर बुआई की जाती है। इस बार नूंह जिले में 74 हजार 500 हेक्टेयर में गेहूं, 29 हजार 50 हेक्टेयर में सरसों, 940 हेक्टेयर में जौ, 124 हेक्टेयर में चना, 79 हेक्टेयर में मसूर और करीब 400 हेक्टेयर में गाजर, प्याज आदि की बुआई की गई है।
किसान शमशेर लुहिंगाकलां, तारीक गंगवानी, सहूद, महबूब बादली और उमर मोहम्मद और दीन मोहम्मद मामलीका आदि का कहना है कि जिले में बारिश बहुत की कम होती है। नहरों में पानी समय पर आता नहीं है। किसानों को डीजल इंजनों से सिंचाई करनी पड़ती है, जो महंगा पड़ता है। सरसों की फसल में एक-दो पानी से ही काम चल जाता है, जबकि गेंहू की फसल के लिए कम से कम 6 बार सिंचाई की जरूरत पड़ती है। किसानों का कहना है कि दो दशकों से पर्याप्त बारिश न होने से वाटर लेवल 200 से 500 फीट गहरा चला गया है। सरसों की बुआई में लागत भी कम आती है और अच्छा मुनाफा भी होता है। बाजार में करीब चार से पांच हजार रुपये प्रति क्विंटल सरसों बिक्री होती है। किसानों का कहना है कि अब तक सरसों की फसल निरोगी है। जिले के अधिकतर गांवों में कटाई शुरू हो गई है।
इस बार लक्ष्य से अधिक बुआई
कृषि विभाग मेवात के एसडीओ अजीत सिंह ने बताया कि मेवात क्षेत्र में सरसों की फसल निरोगी है। सरकार ने 25 हजार हेक्टेयर यानी 62 हजार 500 एकड़ सरसों की फसल का लक्ष्य दिया था, लेकिन किसानों ने 29 हजार 50 हेक्टेयर यानी 72625 एकड़ सरसों की रिकॉर्ड बुआई की है। इससे किसानों को काफी आर्थिक फायदा होगा।