तेजी से बढ़ रहे हैं चेक बाउंस के मामले
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मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायाधीश एल नागेश्वर राव और न्यायाधीश एस रवींद्र भट्ट की पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी से अगले सप्ताह यह बताने को कहा कि क्या केंद्र ‘नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट’ (एनआई कानून) के अंतर्गत आने वालों मामलों के तेजी से निपटान के लिए अनुच्छेद 247 के तहत अतिरिक्त अदालतें गठित करने को इच्छुक है।
बनर्जी ने कहा कि वह इस बारे में निर्देश प्राप्त कर न्यायालय को सुनवाई की अगली तारीख को सूचित करेंगे। संविधान के अनुच्छेद 247 के तहत संसद को उसके द्वारा बनाए गए या केंद्रीय सूची में आने वाले मामलों के संदर्भ में मौजूदा कानून के बेहतर तरीके से अनुपालन और प्रशासन को लेकर अतिरिक्त अदालतें गठित करने का अधिकार है। शीर्ष अदालत चेक बाउंस मामलों के तेजी से निपटान के लिए व्यवस्था बनाने के मामले में स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही है।
पीठ ने बनर्जी और मामले में अदालत की मदद कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा से कहा कि कुछ ऐसे निर्णय हैं जिसमें कहा गया है कि विधायिका का यह कर्तव्य है कि वह कानून के तहत नया अपराध बनाने से पहले उसके प्रभाव का आकलन करे। न्यायालय ने यह जानना चाहा कि क्या सरकार एनआई कानून के तहत अतिरिक्त अदालतें गठित करने को बाध्य है। लूथरा ने ऐसे मामलों के तेजी से निपटान को लेकर न्यायालय को कुछ सुझाव दिए। इसमें ई-मेल या सोशल मीडिया के जरिए इलेक्ट्रॉनिक तरीके से समन भेजा जाना शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि चेक बाउंस के कई मामले अदालतों में इसलिए फंसे हैं कि समन का तामील नहीं हुआ। अब जब चीजें आधार से जुड़ी हैं, समन इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भेजे जा सकते हैं। पीठ ने कहा कि वह मामले में सुनवाई अगले सप्ताह जारी रखेगी और इस मामले में केंद्र के विचार मांगे। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने 19 जनवरी को विभिन्न उच्च न्यायालयों और पुलिस महानिदेशकों से चेक बाउंस मामलों के तेजी से निपटान के मामले में अपना जवाब देने को कहा। न्यायालय ने पिछले साल पांच मार्च को मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए ऐसे मामलों के तेजी से निपटान को लेकर समन्वित तथा एकीकृत व्यवस्था तैयार करने का निर्णय किया था।